स्नेह ज्योति घर घर जला दीजिये,
सब एक हो जाएँ ये दुआ कीजिये
दिल से ईर्ष्या ,कटुता मिटा दीजिये
हर दिल में प्रेम गंगा बहा दीजिये
कोई हँसता हो
तो रुलाना नहीं
दिल में
कुविचार लाना नहीं
आतंक घर- घर
फैलाना नहीं
दिल किसी का दुखाना
नहीं
कोई गिरता हो तो उसे उठा लीजिये
अनजान
को भी अपना बना लीजिये
एकता
के सूत्र में सब को पिरो लीजिये
शत्रु
को भी अपने गले लगा लीजिये
प्रेम
सत्य अहिंसा के रंग में रंग दीजिये
शांति के दीपक फिर से जला दीजिये
सभी
शिकवे शिकायत भुला दीजिये
घर घर में स्नेह शंख बजा दीजिये
आप
सैनिक भी हो वफादार भी
आप जनता भी हो सरकार भी
आप सागर भी हो कश्ती पतवार भी
देश के रक्षक भी अप्प हो पहरेदार भी
युवा पीढी का भविष्य बना दीजिये
संस्कार
और शील के फूल खिला दीजिये
अपनी संस्कृति की पहचान बता
दीजिये
दिग्भ्रमित पीढ़ी को नयी दिशा दिखा दीजिये |